Saman Sangh Slogan

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समण संघ: एक ऐतिहासिक और सामाजिक पुनरुत्थान

समण संघ का परिचय

समण संघ का अर्थ स्वयं स्पष्ट है - यह केवल समणों का संघ है। इसमें केवल समणों की भागीदारी हो सकती है, अन्य किसी भी समूह या विचारधारा के लिए यहाँ स्थान नहीं है। यह संघ बुद्ध के भिक्खु संघ से भिन्न है, जहाँ प्रवेश के लिए समण और वमण दोनों को अवसर था। समण संघ पूरी तरह से समण समुदाय के हित में कार्य करता है।

जब भी कोई सभा, सम्मलेन या संगीति होती है, तो यह सुनिश्चित किया जाता है कि उसमें केवल समण ही उपस्थित हों। यदि कोई अन्य व्यक्ति उपस्थित होता है, तो उसे वहाँ से स्थान छोड़ना आवश्यक होता है।



समण शब्द का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

भारत के प्राचीनतम काल में, जब इसे महाभारत के नाम से भी पहले जाना जाता था, तब यहाँ के सभी निवासी समण कहलाते थे। वर्तमान में जिन लोगों को बहुजन, अर्जक, मूलनिवासी, आदिवासी, कमेरा, मेहनतकश, मजदूर, मजबूर, दलित, OBC, ST, SC आदि नामों से जाना जाता है, उनकी मूल और पुरातन राष्ट्रीय पहचान "समण" रही है।

यदि कोई व्यक्ति भारत से बाहर जाता है, तो वह अपनी राष्ट्रीय पहचान भारतीय के रूप में प्रस्तुत करता है। किंतु भारत के भीतर वह अपने राज्य या जाति की पहचान को प्राथमिकता देता है। प्राचीन काल में जब भारत के व्यापारी विदेश यात्रा करते थे, तो वे स्वयं को समण कहकर अपनी पहचान दर्शाते थे, जबकि वहाँ के लोगों को वमण कहा जाता था।

भाषा और शब्दों का विकास

समण शब्द का पाली भाषा में उपयोग किया गया था, जो बाद में श्रमण के रूप में परिवर्तित हुआ। अरबी भाषा में चार प्रकार के 'स' होते हैं – से, सीन, शीन और सुआद। इन्हीं ध्वन्यात्मक परिवर्तनों के कारण समण शब्द का श्रमण में रूपांतरण हुआ।

समण संघ का उद्देश्य

समण संघ का मुख्य उद्देश्य समण समाज की रक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा करना है। यह सामाजिक संगठन है, जो जाति, धर्म, रंग-भेद, कर्मकांड और आडंबर से परे एकजुटता को बढ़ावा देता है।

समण संघ की प्रमुख विशेषताएँ:

✔ शुद्ध समाज व्यवस्था: इसमें ना कोई बाहरी भाषा, ना कर्मकांड, ना ही किसी प्रकार की भेदभावपूर्ण परंपरा थी। ✔ समानता का आधार: यहाँ किसी भी प्रकार की असमानता का कोई स्थान नहीं था। ✔ शिक्षा और जागरूकता: यह संघ समाज में ज्ञान और विवेकशीलता को बढ़ाने के लिए कार्य करता था। ✔ अहिंसा और सद्भाव: संघ के सिद्धांतों में परस्पर प्रेम, करुणा और अहिंसा का महत्व था।

समण संघ और आधुनिक समाज

आज समण समुदाय को अपने अधिकारों और पहचान को पुनः स्थापित करने की आवश्यकता महसूस हो रही है। समण संघ केवल उन लोगों के लिए है जो न झुके, न टूटे, न बदले, न मैदान छोड़कर भागे, न घबराए और न ही कभी हार स्वीकार की।

समण संघ का पुनरुत्थान इस विचार को पुनः जागृत कर रहा है कि हर समण को अपनी वास्तविक पहचान को स्वीकार करना चाहिए। समण संघ न केवल सामाजिक संरचना को सुदृढ़ करने का कार्य करेगा, बल्कि इसे ऐतिहासिक आधार भी प्रदान करेगा।

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