पुराने समय में दो व्यवस्थाएं थीं। संघवाद और राजावाद। गण
व्यवस्था को संघ व्यवस्था कहते थे। राज्य के अन्दर गण व्यवस्था होती थी। राज्य राजा रानी के अधीन होता था। गण व्यवस्था / संघ व्यवस्था गण/संघ के अधीन होती थी। राजा कितना भी ताकतवर हो वो संघ व्यवस्था या गण व्यवस्था में दखल नहीं कर सकता था।
संघ ने या गणों ने जो आदेश पारित कर दिया वो मान्य होता था। यह व्यवस्था आज भी भारत में है। गांव के अन्दर पंचायत की वही व्यवस्था है, संघ व्यवस्था या गण व्यवस्था। अमेरिका में भी यही व्यवस्था चलती है। वहां के राज्य गण व्यवस्था पर आधारित हैं। उसका नाम भी USA, (United States Of America), संयुक्त राज्य अमेरिका।
पुराने समय में कोई भी गण परिसद, संघ परिसद, कभी भी राजा के दरबार में हाजिरी नहीं लगाती थी। इसका अर्थ है कि उसका राजा के यहां पंजीकरण नहीं था।
संघ लोगों की एक स्वतंत्र इकाई रही है, बन्धनमुक्त। लोग अपने संगठनों का, संस्थाओं का पंजीकरण क्यों करवाते हैं? यह सवाल साधारण जवाब रखता है। पंजीकरण में संगठन, संस्था के बंधे बंधाये नियम देने पड़ते हैं। संगठन संस्था के मालिकों के नाम देने पड़ते हैं। सरकार से एक प्रमाण-पत्र मिलता है कि इस संस्था का, इस संगठन का यह व्यक्ति मालिक है। मालिक का सर्टिफिकेट लेने के लिये पंजीकरण करवाना आवश्यक होता है। घर का पंजीकरण, कार का पंजीकरण, व्यक्ति का पंजीकरण, जिस चीज का मालिकाना हक चाहिये, उसका पंजीकरण होता है। पद का भी पंजीकरण होता है। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सासंद, एमएलए, सभी लोगों का पंजीकरण होता है। सभी शपथ लेकर पंजीकरण पुस्तिका में नाम दर्ज करवा कर अपना हस्ताक्षर करते हैं।
जमीन, जायदाद, मोटरकार, संस्था, संगठन, सबका पंजीकरण होता है। देस, दुनिया, संसद, लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा, नदी, नाले, समुद्र, पहाड़, हवा, पानी, 120 करोड़ लोगों के संघ का पंजीकरण नहीं हो सकता है। क्योंकि संघ का मालिक कोई व्यक्ति या सरकार नहीं हो सकती है। संघ का मालिक संघ ही होता है। यदि कोई समण संघ का पंजीकरण करवाना चाहे तब उसे 120 करोड़ लोगों का नाम देना होगा। क्योंकि 120 करोड़ लोग ही समण संघ हैं और वे सभी इसके मालिक हैं। अगर 120 करोड लोग अपना नाम दर्ज करवायेंगे तो किसको दर्ज करवायेंगे? जहां 120 करोड़ लोग खडे होंगे, वहीं से तो सभी चीजें आरम्भ होंगी। 120 करोड़ लोग ही तो देश हैं। 120 करोड़ लोग ही तो सरकार हैं। 120 करोड़ लोग ही तो WE THE PEOPLE हैं। 120 करोड लोग ही तो संविधान हैं। इसीलिये समण संघ का Registration / पंजीकरण कभी नहीं हो सकता है। यदि कोई व्यक्ति समण संघ का रजिस्ट्रेशन कराता है तो वह व्यक्ति उसका परिवार समणद्रोही घोषित होंगे और उनको 120 करोड़ लोगों का घाती माना जायेगा। उनका यह अपराध, पीढ़ी दर पीढ़ी चलेगा। यह अपराध अक्षम्य होगा, इसकी सजा अनन्त काल तक उस अपराधी परिवार की उपेक्षा होगी।
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